SHRI SHIV SHANI MANDIR DHORI

SHRI SHIV SHANI MANDIR DHORI
BILLBOARD

Monday, July 15, 2013

शिव महिमा स्त्रोतं की रचना ;


‘ शिव
महिम्नस्तोत्र ‘
भगवान शिव के
भक्तों के बीच
काफी लोकप्रिय है,
भगवान शिव
की प्रार्थना के
बीच सर्वश्रेष्ठ में से
एक माना जाता है |
इस स्तोत्र
की रचना की परिस्थितियों के
बारे में कथा इस
प्रकार है|
एक बार चित्ररथ नाम के
राजा ने एक
अच्छा बगीचा निर्माण
किया था| इस बगीचे में
सुंदर फूल लग रहे थे. इन
फूलों को हर दिन वह
राजा भगवान शिव
की पूजा में इस्तेमाल
किया करता था |
एक गंधर्व जिसका नाम
पुष्पदंत Pushpadant,
इंद्र के दरबार में गायक
था, एक दिन सुंदर फूलों से
मोहित हो कर उन्हें
चुराने लगा , परिणाम
स्वरुप राजा Chitraratha
फूल भगवान शिव
को अर्पित नहीं कर
पा रहे थे | राजा बहुत
कोशिश करने के बाद
भी चोर को पकड़ने में
असफल रहे
क्योंकि गन्धर्व में अदृश्य
रहने की शक्ति थी |
अंत में राजा ने अपने बगीचे
में शिव निर्माल्य
फैला दिया | शिव
निर्माल्य – बिल्व पत्र ,
फूल, वगैरह जो भगवान
शिव की पूजा में इस्तेमाल
किया गया है उसे कहते हैं |
शिव निर्माल्य बहुत
पवित्र माना जाता है|
चोर पुष्पदंत,
यही नहीं जानते हुए, शिव
निर्माल्य के ऊपर से
चला गया, और उस से वह
भगवान शिव के क्रोध
का पात्र बन पड़ा |
पुष्पदंत ने अपनी दिव्य
शक्तिया खो दी | उसने
क्षमा याचना के लिए
भगवान शिव
की महिमा स्तोत्र
की रचना की | इस
प्रार्थना में उसने शिव
प्रभु
की महानता को गाया |
भगवान शिव की कृपा से
यह स्तोत्रं बन गया है,
और पुष्पदंत की दिव्य
शक्तिया लौट आयी | यह
प्रार्थना `शिव
महिम्नस्तोत्र ‘ के रूप में
जाना गया |

No comments:

Post a Comment