आधुनिक युग में
व्यक्ति के पास समय
का अभाव एक आम
समस्या है, कई
प्रकार के कार्यों में
व्यस्त होने के कारण
कई
व्यक्ति साधना करने
के लिए उत्सुक होते है
लेकिन समय नहीं दे
पाते है. ऐसे
व्यक्तियो को चाहिए
की वह बड़े तांत्रिक
अनुष्ठानो की अपेक्षा लघु
मगर अत्यधिक
तीव्र
प्रभावी प्रयोगों को सम्प्पन
करे. यह सामान्य
प्रयोग कोई
भी साधक कर
सकता है तथा इसमें
ज्यादा सामग्री तथा विधिविधान
की भी आवश्यकता नहीं है.
अतः जिनके पास
समय का अभाव
हो तथा बड़े क्रम
को अपनाने के लिए
समय न हो उनको ऐसे
छोटे प्रयोग करने
पर भी कई परिणाम
प्राप्त कर सकते है.
यहाँ पर गृहस्थ सुख
शांति से सबंधित,
सौर्य
की प्राप्ति के लिए
तथा ग्रह पीड़ा से
मुक्ति के लिए तिन
ऐसे
ही प्रयोगों को दिया जा सकता है
जिसके माध्यम से
साधक अल्प समय
को दे कर भी अपने
जीवन में भाग्य
का उदय कर
सकता है.
सोमवार के दिन
साधक सात
बिल्वपत्र ले उन
सातो बिल्वपत्र
पर केसर से 'ॐ
शिवाय समस्त दोष
निवारणाय फट'
लिखे. अब एक बिल्व
पत्र को हाथ में रख
कर ७ बार 'ॐ
शिवाय समस्त दोष
निवारणाय फट'
उच्चारण करे, इस
प्रकार सभी ७
बिल्व पत्र पर यह
प्रक्रिया करे. इसके
बाद
किसी शिवमंदिर में
शिव पूजन करे
तथा उसके बाद एक
एक बेल पत्र को 'ॐ
शिवाय फट् '
का उच्चारण करते
हुवे समर्पित
करना चाहिए. इस
प्रकार साधक इस
क्रिया को एक, तिन
या सात सोमवार
तक करे. इससे साधक
के सभी गृहदोष,
पापकर्म समाप्त
होते है तथा घर में
शांति का स्थापन
होने लगता है.
मंगलवार के दिन
साधक चने तथा गुड
का भोग
किसी हनुमान
मंदिर में लगाए.
हनुमान
जी की प्रतिमा पर
से सिन्दूर ले कर अपने
ललाट पर तिलक कर
के साधक निम्न मंत्र
का १०८ बार जाप
करे. इस जाप में
साधक
को किसी भी माला आदि की ज़रूरत
नहीं है. 'ॐ हं
हनुमंताय वीररूपाय
नमः' इसके बाद
साधक भोग को स्वयं
ग्रहण कर ले. साधक
में
वीरता तथा सौर्यता का संचार
होने लगता है.
किसी भी रविवार
को साधक सूर्योदय
के समय सूर्य
को अर्ध्य अर्पित
करे. साधक
को निराहार
रहना चाहिए
तथा दोपहर के समय
में ७ कुंवारी कन्याओं
को भोजन
यथा शक्ति दक्षिणा प्रदान
करे. यह सम्प्पन होने
के बाद ही साधक खुद
भोजन करने के लिए
बैठे, उस समय साधक
भोजन
की थाली को सामने
रख कर ' ॐ
ह्रीं भास्कराय
ह्रीं नमः ' का ७
बार उच्चारण कर के
भोजन ग्रहण करे
तथा भोजन करते
समय कुछ बोले नहीं,
मन ही मन यह मंत्र
का जाप करता रहे
जब तक की भोजन न
हो जाये. इस प्रयोग
को करने पर साधक
को ग्रह से सबंधित
पीड़ा का नाश
होता है.
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